बाघ गुफाएं ॥ यूपी टीजीटी पीजीटी कला नोट्स ॥ बाघ गुफा मध्य प्रदेश

बाघ गुफाएं

बाघ गुफाएं मध्य प्रदेश में धार जिले की कुक्शी नामक तहसील में स्थित हैं। बाघ गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। ये गुफाएं गुप्त कला की श्रेष्ठ उदाहरण हैं। बाघ में गुफाओं की संख्या 9 है, किंतु 7 गुफाओं के चित्र पूर्ण रूप से नष्ट हो चुके हैं। बाघ गुफा संख्या-1 को “गृह” गुफा, गुफा संख्या-2 को “पंच-पांडव” गुफा तथा सबसे महत्वपूर्ण गुफा संख्या-4 को “रंग महल” के रूप में जाना जाता है। पांचवीं गुफा को स्थानीय लोग ‘पाठशाला’ कहते हैं। छठीं गुफा में गौतम बुद्ध के अनेक चित्र हैं, जिनमें ‘उषनिश-बुद्ध’ का सुंदर चित्र अवशेष मात्र रह गया है।

बाघ गुफाओं का पुराना नाम

माहिष्मती के राजा सुबंधु का एक शिलालेख बाघ की गुफाओं से प्राप्त हुआ है। इस अभिलेख से ज्ञात होता है कि इस विहार का नाम ‘कल्याण’ अथवा ‘कलायन’ था, जिसे महाराजा सुबंधु ने विहार के रख-रखाव एवं इसमें रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं के संरक्षण हेतु दासिलक पट्टी के गांवों को दान दे दिया था।

बाघ गुफा के महत्वपूर्ण बिंदु

 बाघ गुफाएं मध्य प्रदेश के धार जिला मुख्यालय से 97 किमी. की दूरी पर स्थित हैं। ये गुफाएं प्राकृतिक नहीं हैं, चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। ये प्राचीन समय में सातवाहन काल में बनाई गई थीं। अजंता जैसी बाघ गुफाओं का निर्माण कुशल शिल्पकारों द्वारा सीधे बलुए पत्थर पर किया गया है।

बाघ गुफाओं में काले, सफेद तथा हिरौंजी के रंग के प्रयोग से उत्तम आलेखन बनाए गए हैं। रंगीन चित्रों में नीले, लाल और पीले परस्पर विरोधी रंगों का प्रयोग किया गया है।

गायिकाओं का चित्र बाघ गुफा के गुफा सं.-4 के सामने चित्रित किया गया है। स्त्री गायिकाओं के दो दलों को चित्रित किया गया है। पहले दल में सात स्त्रियां एक अन्य आठवीं नर्तकी को चारों ओर से घेरे खड़ी हैं। दूसरे दल में एक नर्तकी को छ: स्त्री गायिकाएं मंडलाकार सरूप में खड़ी हैं, नर्तकी के बाल कंधों पर लहरा रहे हैं।

बाघ गुफा के भित्ति चित्र में चौथी गुफा में 6 दृश्य अंकित हैं। इसमें तृतीय , दृश्य के ठीक नीचे पांच गायिकाओं के चित्रों में केवल कमर तक का भाग शेष बचा है। केंद्र वाली स्त्री के हाथ में वीणा जैसा वाद्य यंत्र है। सभी आकृतियों ने कमर पर कर्सी चोलियां पहन रखी है व बाल जूड़े से बंधे हैं।| चित्र में अजंता की तरह ईरानी नीला रंग भरा गया है।

बाघ गुफा चित्रों पर अजंता शैली का प्रभाव है, क्योंकि बाघ गुफा चित्रों के लिए प्रयुक्त टेम्परा विधि का प्रयोग अजंता के चित्रों में किया गया है।  

बाघ गुफाओं की चट्टाने भुरभुरे बलूए पत्थर की हैं, जो शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं। इसी भित्ति पर चूने का प्लास्टर चढ़ाकर टेम्परा रंगों से चित्रण किया गया है। चित्रण विधान अजंता से मिलता-जुलता है। कुछ चित्रों में प्रयुक्त रंग संभवतः उसी क्षेत्र से प्राप्त किए गए हैं, जिसे पीसकर गोंद मिलाकर रंगों से भरा गया प्रतीत होता है, किंतु जिस प्रकार काले रंग से अजंता के चित्रों में कलई की गई है, उसका अभाव बाघ चित्रों में दिखाई देता है।

असित कुमार हल्दर,नंदलाल बसु, बी.ए. आप्टे,सुरेंद्र्नाथ कर, ए.बी. भोसले,  श्री एम.एस. भांड तथा बी. बी. जगपत आदि प्रसिद्ध कलाकारों ने बाघ गुफा के चित्रों की अनुकृतियां तैयार की। असित कुमार हल्दर और नंदलाल बोस ने वर्ष 1921 में बाघ गुफाओं की प्रतिलिपियां तैयार की।

वर्ष 1910 में असित कुमार हल्दर तथा वर्ष 1925 में मुकुलचंद डे ने भी बाघ गुफाओं पर अपने-अपने विस्तृत लेख प्रकाशित किए। बाघ की प्रथम गुफा में कोई चित्र नहीं है, जबकि द्वितीय गुफा किसी समय पूर्ण रूप से चित्रित थी, जो अब काल कलवित हो गए।

अन्य महत्त्पूर्ण बिंदु बाघ गुफाओं के सबसे अच्छे चित्र चौथी एवं पांचवीं गूफा के बाहरी बरामदे की भीतरी दीवार या गुफाओं के सामने की दीवार पर ऊपर के भाग में सुरक्षित थे, परंतु बरामदे की छत गिर जाने से कुछ चित्र नष्ट हो गए हैं।

बाघ की गुफाओं में शोकाकुल स्त्री, नीले रंग के कबूतरों की जोड़ी, चार गहरे वर्ण के आभूषणधारी पुरुषों की वार्ता, 17 घुड़्सवारों का दृश्य, हाथी का विश्राम, एक केले का वृक्ष जिसके नीचे बुद्ध बैठकर अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे हैं, चित्रित हैं।

दूसरी गुफा ‘पांडवों की गुफा’ है। यह गुफा वर्गाकार चैत्य है, जिसके तीन और छोटी-छोटी कोठरियां काटकर बनाई गई हैं।

तीसरी गुफा का स्थानीय नाम ‘हाथी-खाना’ या ‘हस्तिखाना’ है। इस गुफा की कोठरियों को टेम्परा चित्रों से सुसज्जित किया गया है।

चौथी गुफा ‘रंग महल’ है। तीसरी एवं चौथी गुफा के मध्य 250 फीट खुरदुरी चट्टान है,

पांचवीं गुफा का क्षेत्रफल 65 x 44 फीट है। पांचवीं गुफा को स्थानीय लोग ‘पाठशाला’ कहते हैं।

सातवीं, आठवीं तथा नौवीं गुफा के बारे में बहुत कम जानकारी हो रही है,क्योंकि इन गुफाओं की छतें गिर चुकी हैं।

इसे भी पढें

बादामी की गुफाएं

जोगीमारा गुफा

Leave a Comment